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Title : इस बार नवरात्र में सब कुछ होगा अद्वितीय


Posted By : मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिषाचार्य


Posted Date : 07-Oct-2020

  • चंडीगढ़। 2020 में वह सब कुछ ऐसे हो रहा है, जो कभी किसी सदी में आजतक नहीं हुआ। नवरात्र पूरे एक महीने लेट आ रहे हैं। महामारी के कारण मंदिरों में दूरी बनाई रखनी पड़ेगी। रामलीला और रावण दहन का उत्साह फीका होगा। दीवाली के गिफ्ट और शुभकामनाओं का आदान प्रदान, मोबाइल पर ही अधिक रहेगा। पर्यावरण दूषित न हो, संक्रमण न हो, इसलिए मिठाई, मेवे, दीवाली की फुलझड़ियां, पटाके आदि व्हाट्सऐप या टीवी पर ही देखे जा सकेंगे। अर्थात हर त्योहार मद्धम मद्धम,फीका फीका।
    अधिकमास समाप्त होने के बाद नवरात्र 17 अक्टूबर को शुरू हो जाएंगे। विजय दशमी 25 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस बार नौ दिनों में ही दस दिनों के पर्व पूरा हो जाएगा। इसका कारण तिथियों का उतार चढ़ाव है। 24 अक्तूबर को सुबह 6 बजकर 58 मिनट तक अष्टमी है और उसके बाद नवमी लग जाएगी। दो तिथियां एक ही दिन पड़ रही हैं।
    इसलिए अष्टमी और नवमी की पूजा एक ही दिन होगी, जबकि नवमी के दिन सुबह 7 बजकर 41 मिनट के बाद दशमी तिथि लग जाएगी। इस कारण दशहरा पर्व और अपराजिता पूजन एक ही दिन आयोजित होंगे। कुल मिलाकर 17 से 25 अक्टूबर के बीच नौ दिनों में दस पर्व संपन्न हो रहे हैं।
    मां दुर्गा के वाहन का पड़ेगा प्रभाव किसान आंदोलन  
    इस बार शारदीय नवरात्र का आरंभ शनिवार के दिन हो रहा है। ऐसे में देवीभाग्वत पुराण के कहे श्लोक के अनुसार माता का वाहन अश्व होगा। मां जगदंबा घोड़े पर सवार होकर आएगी और भैंस पर विदा होंगी। अश्व पर माता का आगमन छत्र भंग, पड़ोसी देशों से युद्ध, आंधी तूफान लाने वाला होता है। ऐसे में आने वाले साल में कुछ राज्यों में सत्ता में उथल-पुथल हो सकती है। सरकार को किसी बात से जनविरोध का भी सामना करना पड़ सकता है। इस बार मां भैंसे पर विदा हो रही है और इसे भी शुभ नहीं माना जाता है।

    घट स्थापना का शुभ मुहूर्त:
    प्रतिपदा तिथि 17 अक्टूबर की रात 1 बजे से प्रारंभ होगी। वहीं, प्रतिपदा तिथि 17 अक्टूबर की रात 9 बजकर 08 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। इसके बाद आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि, यानी 17 अक्टूबर को घट स्थापना मुहूर्त का समय सुबह 6 बजकर 27 मिनट से 10 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। अभिजित मुहूर्त प्रात:काल 11 बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगा।
    नवरात्रि का पहला दिन, मां शैलपुत्री की होती है पूजा
    नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां पार्वती माता शैलपुत्री का ही रूप हैं और हिमालय राज की पुत्री हैं। माता नंदी की सवारी करती हैं। इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बायें हाथ में कमल का फूल है। नवरात्रि के पहले दिन लाल रंग का महत्व होता है। यह रंग साहस, शक्ति और कर्म का प्रतीक है। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना पूजा का भी विधान है।

    अक्टूबर माह के व्रत और त्योहार
    13 अक्टूबर— परम एकादशी।
    14 अक्टूबर— प्रदोष व्रत।
    15 अक्टूबर— मासिक शिवरात्रि।
    16 अक्टूबर— आश्विन अधिक अमावस्या।
    17 अक्टूबर— नवरात्रि प्रारंभ, घट स्थापना या कलश स्थापना, दुर्गा पूजा और महाराजा अग्रसेन जयंती।
    18 अक्टूबर- मां ब्रह्मचारिणी पूजा
    19 अक्टूबर- मां चंद्रघंटा पूजा
    20 अक्टूबर- मां कुष्मांडा पूजा
    21 अक्टूबर- मां स्कंदमाता पूजा
    22 अक्टूबर- षष्ठी मां कात्यायनी पूजा
    23 अक्टूबर- मां कालरात्रि पूजा
    24 अक्टूबर- मां महागौरी दुर्गा पूजा,  शनिवार: दुर्गा अष्टमी और महानवमी।
    25 अक्टूबर- मां सिद्धिदात्री पूजा, दशहरा, विजयादशमी, नवरात्रि पारण।
    26 अक्टूबर— दुर्गा विसर्जन।
    27 अक्टूबर—  पापांकुशा एकादशी
    28 अक्टूबर— प्रदोष व्रत, ईद ए मिलाद।
    30 अक्टूबर— शरद पूर्णिमा, कोजागरी पूजा।
    31 अक्टूबर— वाल्मीकि जयंती।